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- Manali Leh Road, Restored One And A Half Months Before Last Year, Will Help Nigehabans Of The Border
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मनाली12 मिनट पहले
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बर्फ पिघलाकर बॉर्डर पर तैनात सैनिकों और सैलानियों की सुविधा के लिए खोला गया लेह-मनाली रोड। यह पिछले साल की बजाय इस बार डेढ़ महीना पहले बहाल किया जा सका है।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और दुनिया के सबसे रोमांचक सफर के आनंद का अनुभव करवाने वाला मनाली-लेह मार्ग रविवार को खुल गया है। इसके बहाल होने से सीमावर्ती क्षेत्र लेह-लद्दाख मनाली से जुड़ गया है। अब चीन और पाकिस्तान की सरहदों पर बैठे हमारे सैनिकों तक रसद और असलहा-बारूद पहुंचना आसान हो गया है। खास बात यह है कि खास तकनीक वाली मशीनों की मदद से इस रास्ते को पिछले साल की बजाय डेढ़ महीना पहले बहाल कर लिया गया है। यह अलग बात है कि आज सुबह से हो रही बर्फ़बारी के कारण अभी बारालाचा दर्रे में सफर करना जोखिम से भरा है।
हालांकि BRO ने दो दिन पहले ही दोनों छोर जोड़ दिए थे और डीजल-पेट्रोल के ये टैंकर दारचा में आकर रुक गए थे। शनिवार को चीफ इंजीनियर शिमला से केलंग पहुंचे। कड़ी मशक्कत के बाद रविवार को सड़क बहाल करते ही 11 बजकर 40 मिनट पर 7 टैंकर बारालाचा दर्रा पार करके लेह के लिए आगे बढ़ हुए। इन्हें BRO हिमांक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर अरविंदर सिंह और BRO दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर MS बाघी ने हरी झंडी दी।

रास्ता खोलने के लिए बर्फ हटाती BRO की खास तकनीक की क्रेन।
BRO कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया उन्होंने सरचू में अस्थायी कैंप स्थापित कर बारालाचा दर्रे पर दोनों ओर से चढ़ाई की है। दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले 16000 फीट ऊंचे बारालाचा ला दर्रे, 15580 फुट ऊंचा नकीला और 16500 फीट ऊंचा लाचुंगला दर्रे और साढ़े 17 हजार फीट तांगलांग ला दर्रे में खड़ी ऊंची बर्फ की दीवार को पिघलाकर अपना लक्ष्य हासिल किया। अटल टनल बनने से जोखिम भरे रोहतांग दर्रे से 46 किलोमीटर सफर भी कम हुआ है, जिससे अब लेह लद्दाख की वादियों तक पहुंचना आसान हो गया है। बर्फ हटाने का जिम्मा इस बार रिमोट कंट्रोल चालित डोजर व स्नो कटर के हवाले था। यह हाई टेक भारी-भरकम मशीनें दूसरी मर्तबा इस्तेमाल की गई। साथ ही उन्होंने यहां से गुजरने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
यह है मनाली-लेह मार्ग का महत्व
बता दें कि मनाली-लेह मार्ग सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। जम्मू कश्मीर रास्ते की तुलना में यह मार्ग सुरक्षित है। इसी वजह से भारतीय सेना इस सड़क को अधिक तरजीह देती है। हर बार महीनों के लिए बंद हो जाने वाला यह दर्रा 2019 में 10 जून को तो 2020 में 18 मई को खुला था। इस बार इससे भी डेढ़ महीना पहले इसका बहाल होना अपने आप में बड़ी बात है। माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों में भारतीय सेना मनाली सरचू लेह मार्ग में अपनी आवाजाही शुरू कर देगी। दूसरी ओर पर्यटक भी इस मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा पाएंगे।